Bangladesh News: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा ने एक बार फिर चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। हाल ही में इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उनकी रिहाई की मांग जोर पकड़ रही है। आज, 3 दिसंबर, को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है, लेकिन इस बीच उनकी कानूनी लड़ाई से जुड़े वकील रमन रॉय पर हुए बर्बर हमले ने माहौल को और संवेदनशील बना दिया है।
वकील पर हमला: कट्टरपंथियों का क्रूर चेहरा
इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधाराम दास ने दावा किया है कि वकील रमन रॉय पर कट्टरपंथियों ने उनके घर में घुसकर हमला किया। यह हमला इतना गंभीर था कि उन्हें आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। राधाराम दास के अनुसार, रमन रॉय का "अपराध" केवल इतना था कि वह चिन्मय कृष्ण दास का केस लड़ रहे थे।
रॉय के घर में तोड़फोड़ और हिंसा का आरोप इस्लामी कट्टरपंथियों पर लगाया गया है। राधाराम दास ने रमन रॉय की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने कहा, "यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और उनके समर्थन में खड़े लोगों के लिए बढ़ते खतरे को दर्शाती है।"
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का मामला
चिन्मय कृष्ण दास, जो बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता हैं, को 25 नवंबर को ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने चटगांव में हिंदू समुदाय की रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। इस घटना के बाद से उनके खिलाफ चटगांव के कोतवाली थाने में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया।
हालांकि, इस गिरफ्तारी को लेकर हिंदू समुदाय में आक्रोश है। उनकी रिहाई के समर्थन में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं।
बांग्लादेश में हिंदू आबादी की घटती संख्या
1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के समय हिंदू समुदाय देश की कुल आबादी का 22 प्रतिशत थे। लेकिन अब यह संख्या घटकर लगभग 8 प्रतिशत रह गई है। यह बदलाव अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते उत्पीड़न और पलायन को दर्शाता है।
भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और वकील पर हमले की घटनाओं ने भारत समेत कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है। भारत ने इस घटना की निंदा करते हुए बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
न्याय और समानता की मांग
चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ आरोप और उनके वकील पर हमला यह दिखाता है कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लड़ना कितना कठिन हो गया है। आज, 3 दिसंबर, को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई है। यह देखना अहम होगा कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है।
इस घटना ने एक बार फिर इस सवाल को खड़ा किया है कि क्या बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित हैं, और क्या वहां के न्यायिक तंत्र में धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने की क्षमता है?