Gautam Adani News:अडानी का आया हिंडनबर्ग के आरोपों पर जवाब, कहा- सेबी चीफ से कोई संबंध नहीं

12:45 PM Aug 11, 2024 | zoomnews.in

Gautam Adani News: अमेरिकी शोध और निवेश कंपंनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति पर अडानी से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी होने का आरोप लगाया है. हालांकि सेबी प्रमुख ने आरोप को पूरी तरह आधारहीन बताया है. वहीं दूसरी ओर इस मामले में अडानी ग्रुप का भी बयान आ गया है. अडानी ग्रुप ने साफ किया है कि उनके ग्रुप का सेबी चीफ के साथ कोई कारोबारी संबंध नहीं है. हिंडनबर्ग की ओर से बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं.

हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी नई रिपोर्ट में कहा कि सेबी चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच के पास उस विदेशी कोष में हिस्सेदारी है, जिसका उपयोग अडानी ग्रुप में कथित धन की हेराफेरी को लेकर इस्तेमाल किया गया. इस बीच, कांग्रेस ने केंद्र से अडानी ग्रुप नियामक जांच में हितों के सभी टकराव को खत्म करने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है. विपक्षी दल ने देश के शीर्ष अधिकारियों की कथित मिलीभगत का पता लगाने और घोटाले की पूरी जांच के लिए एक जेपीसी गठित करने की भी मांग की है.

कोई संबंध नहीं

अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का जवाब देते हुए कहा कि रिपोर्ट में जिन लोगों या केस का जिक्र किया गया है, उससे अडानी ग्रुप का कोई कमर्शियल कनेक्शन नहीं है. ग्रुप ने सभी आरोपों को खारिज करते कहा कि अउसकी कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को वह खारिज करता है और फिर से अपनी बात को दोहराता है कि उसकी विदेशी होल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरी तरह से पारदर्शी है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह को लेकर कहा गया है कि उसने कंपनियों का जाल बुनकर फंड को इधर से उधर किया.

आरोपों को बताया बेसलेस

वहीं सेबी चीफ और उनके पति ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार और बेबुनियाद है. इनमें तनिक भी सच्चाई नहीं है. हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब की तरह है. सभी आवश्यक खुलासे पहले ही वर्षों से सेबी को दिये जा चुके हैं. हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है. बुच ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उसी के जवाब में हमें ही घेरने और चरित्र हनन करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ण पारदर्शिता को ध्यान में रखकर, नियत समय में एक विस्तृत बयान जारी किया जाएगा.

हिंडनबर्ग के सेबी चीफ पर आरोप

हिंडनबर्ग ने अडानी पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया कि सेबी ने अडानी के मॉरीशस और विदेशी मुखौटा इकाइयों की कथित अघोषित जाल की जांच में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है. निवेश कंपनी ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि सेबी की वर्तमान प्रमुख बुच और उनके पति के पास अडानी समूह में धन के हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी कथित तौर पर समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी अस्पष्ट विदेशी कोष बरमूडा और मॉरीशस कोषों को नियंत्रित करते थे. हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन कोषों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था.

कितनी है बुच नेटवर्थ

हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि आईआईएफएल में एक प्रमुख के हस्ताक्षर वाले फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत वेतन है और दंपति की कुल संपत्ति एक करोड़ अमेरिकी डॉलर आंकी गई है. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि दस्तावेजों से पता चलता है कि हजारों अच्छे साख वाले भारतीय म्यूचुअल फंड उत्पादों के होने के बावजूद, सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति के पास कम परिसंपत्तियों के साथ एक बहुस्तरीय विदेशी कोष में हिस्सेदारी ली थी.

हिंडनबर्ग ने कहा कि इनकी परिसंपत्तियां उच्च जोखिम वाले अधिकार क्षेत्र से होकर गुजरती थीं. इसकी देखरेख घोटाले से कथित तौर पर जुड़ी एक कंपनी करती थी. यह वही इकाई है, जिसे अडानी के निदेशक चलाते थे और विनोद अदाणी ने कथित अदाणी नकदी हेरफेर घोटाले में महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किया था. ऐसे फंड जो विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं, उन्हें ऑफशोर फंड कहते हैं. इन्हें विदेशी कोष भी कहते हैं. रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया गया है. जिसमें यह कहा गया था कि सेबी इस बात की जांच में खाली हाथ रहा कि अदाणी के कथित विदेशी शेयरधारकों को किसने वित्तपोषित किया.

ये बात आई सामने

हिंडनबर्ग ने कहा कि अगर सेबी वास्तव में विदेशी कोष धारकों को ढूंढना चाहता था, तो शायद सेबी चेयरपर्सन खुद को आईने में देखकर इसकी शुरुआत कर सकती थीं. इसमें कहा गया कि हमें यह आश्चर्यजनक नहीं लगता कि सेबी उस मामले का पीछा नहीं करना चाहता था, जो उसके अपने प्रमुख तक जाता था. हिंडनबर्ग ने कहा कि मौजूदा सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच ने उसी अस्पष्ट अपतटीय बरमूडा और मॉरीशस फंड में अपनी हिस्सेदारी छिपाई, जो विनोद अडानी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक ही जटिल ढांचे में पाए गए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक एक व्हिसलब्लोअर से प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि 22 मार्च, 2017 को बुच को सेबी चेयरपर्सन नियुक्त किए जाने से कुछ ही हफ्ते पहले धवल बुच ने मॉरीशस फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को ईमेल लिखा था. यह ईमेल ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड (जीडीओएफ) में उनके और उनकी पत्नी के निवेश के बारे में था.

18 महीने पहले ये लगाए थे आरोप

इससे पहले जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अदाणी समूह खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी में शामिल रहा है. हालांकि, समूह ने इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया था. उसने कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि उसकी शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के गलत इरादे से किया गया है. उस समय अदाणी समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज 20,000 करोड़ रुपए का एफपीओ लाने की तैयारी कर रही थी.

बंदरगाह से लेकर ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रहे समूह ने कहा था कि रिपोर्ट कुछ और नहीं बल्कि चुनिंदा गलत और निराधार सूचनाओं को लेकर तैयार की गयी है और जिसका मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्ण है. जिन बातों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है, उसे भारत की अदालतें भी खारिज कर चुकी हैं. रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर लुढ़क गये थे, हालांकि बाद में यह नुकसान से उबरने में कामयाब रहा.